एक बुज़ुर्ग से किसी ने पूछा, "कुछ नसीहत कर दीजिये"।
उन्होंने अजीब सवाल किया, "कभी बर्तन धोये हैं?"
उस शख्श ने हैरान होकर जवाब दिया, "जी धोये हैं"
उस शख्श ने कहा, "इसमें सीखने वाली बात क्या है?"
बुज़ुर्ग ने मुस्कुराकर जवाब दिया,
"बर्तन को बाहर से कम
अन्दर से ज़्यादा धोना पड़ता है"।
हम भी शरीर को धोने में लगे हुए है ।
मन को कब धोएंगे?
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