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Thursday, August 13, 2015

आज का सुविचार - वैष्णव का कष्ट और अष्टाक्षर मंत्र




वैष्णव का कष्ट और अष्टाक्षर मंत्र 

आम आदमी के जीवन में जब कष्ट आता है वह जन्म पत्रिका लेकर ज्योतिषियों के चक्कर लगाता है. 


किन्तु वेष्णव?

उसकी दृष्टि प्रभु कृपा पर ही रहती है। जीवन में प्रधानता प्रारब्ध की है या प्रभु कृपा की - इससे बहूत फर्क पड़ता है। वेष्णव के लिए सांसारिक प्रतिकूलता का अर्थ प्रभु कृपा का अभाव नही है।




इसके विपरीत सदैव भगवत कृपा का अनुभव होने से उसे कभी प्रतिकूलता का आभास होता ही नही।




निरन्तर प्रभु की शरण में रहने वाले को प्रभु विपरीतता का अहसास कैसे करा सकते हैं?




इसलिए तो वल्लभ आज्ञा है-बिना एक क्षण भी रुके, सतत बोलते रहो-




श्रीकृष्णः शरणम् मम।

श्रीकृष्णः शरणम् मम।

श्रीकृष्णः शरणम् मम।

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