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Monday, August 24, 2015

सारा शहर मुझे प्याज़ के नाम से जानता है. .


प्याज कोई खेल नहीं!


बढती प्याज की कीमतों के हिसाब से जल्दी ही फिल्मो के डायलाग इस प्रकार के होंगे ! मुलाहिजा फरमाईये।



☀मेरे राम श्याम आयेंगे; और दो किलो प्याज़ लायेंगे. . .


☀ये ढाई किलो के प्याज़ जब आदमी लेता है ना; तो आदमी उठता नहीं उठ जाता है. . .


☀मेरे पास बंगला है गाडी है बैंक बैलेंस है रुपया है पैसा है, तुम्हारे पास क्या है? मेरे पास प्याज़ है!भाई


☀जिनके घर प्याज़ के सलाद होते हैं; वो बत्ती बुझा कर खाना खाते हैं. . .


☀चिनॉय सेठ, प्याज़ बच्चों के खेलने की चीज़ नहीं होती; कट जाए तो आँखों से आँसू निकल आते हैं. . .


☀मैं आज भी फेंके हुए पैसे नहीं उठाता साहेब; प्याज़ हो तो अलग बात है. . .


☀लगता है सब्जी मंडी में नए आये हो बरखुरदार; सारा शहर मुझे प्याज़ के नाम से जानता है. . .


☀11 राज्यों की सरकार मुझे ढूंढ़ रही है; पर प्याज़ को खरीदना मुश्किल ही नहीं,नामुमकिन है. . .


☀ये दोनों प्याज मुझे दे-दे ठाकुर। . . 


☀तुम्हें चारो तरफ से पुलिस ने घेर लिया है गब्बर; अपनी सारी प्याज कानून के हवाले कर दो. . .

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