Search This Blog

Translate

Tuesday, February 03, 2015

शब्दों के दांत नहीं होते है...



कहते है - शब्दों के दांत नहीं होते है लेकिन शब्द जब काटते है तो दर्द बहुत होता है और कभी कभी घाव इतने गहरे हो जाते है की जीवन समाप्त हो जाता है परन्तु घाव नहीं भरते..



इसलिए जीवन में जब भी बोलो मीठा बोलो मधुर बोलों 'शब्द' 'शब्द' सब कोई कहे, 'शब्द' के हाथ न पांव; एक 'शब्द' 'औषधि" करे, और एक 'शब्द' करे 'सौ' 'घाव"...!



"जो 'भाग्य' में है वह भाग कर आएगा.., जो नहीं है वह आकर भी भाग 'जाएगा"..! प्रभू' को भी पसंद नहीं सख्ती' 'बयान' में, इसी लिए 'हड्डी' नहीं दी, 'जबान' में...! जब भी अपनी शख्शियत पर अहंकार हो,



एक फेरा शमशान का जरुर लगा लेना। और.... जब भी अपने परमात्मा से प्यार हो, किसी भूखे को अपने हाथों से खिला देना।



जब भी अपनी ताक़त पर गुरुर हो, एक फेरा वृद्धा आश्रम का लगा लेना। और…. जब भी आपका सिर श्रद्धा से झुका हो, अपने माँ बाप के पैर जरूर दबा देना। 


जीभ जन्म से होती है और मृत्यु तक रहती है क्योकि वो कोमल होती है.




दाँत जन्म के बाद में आते है और मृत्यु से पहले चले जाते हैं... क्योकि वो कठोर होते है। 




छोटा बनके रहोगे तो मिलेगी हर बड़ी रहमत...

बड़ा होने पर तो माँ भी गोद से उतार देती है...

No comments:

Post a Comment

Blog Archive

LinkWithin

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...