रात का वक़्त था...
बाहर बड़ी ठंड थी...
पति पत्नी कार में जा रहे थे.
सड़क किनारे पेड़ के नीचे
पतली पुरानी फटी चिथड़ी चादर में लिपटे एक बूढ़े भिखारी को देख पत्नी का दिल द्रवित हो गया...
रहा है,कार रोको..पति ने कार रोक दी.
पत्नी बोली कार में जो कंबल पड़ा है उसे दें देते हैं.
पति बोला-"क्या कहती हो.
इतना मंहगा कंबल , वह उसे बेच देगा. ये ऐसे ही होते हैं".
पत्नी न मानी. अनमने मन से पति नें कंबल उठाया और ले जाकर बूढ़े को ओढ़ा दिया-"ले बाबा ऐश कर"
.
अगले दिन, दिन में भी बड़े ग़ज़ब की ठंड थी... पति पत्नी उसी रास्ते से निकले. सोचा देखें रात वाले बूढ़े का क्या हाल है...
देखा तो बूढ़े भिखारी के पास वह कंबल नहीं था. अपनी वही पुरानी चादर ओढ़े भीख मांग रहा था.
पति ने पत्नी से कहा -"मैंने कहा था कि उसे मत दो बेच दिया होगा"...
दोनों कार से उतर कर उसके पास गये. पति ने व्यंग्य से पूछा- "बाबा रात वाला कंबल कहाँ हैं, बेच कर नशे का सामान ले आये क्या ?
बूढ़े ने हाथ से इशारा किया, थोड़ी दूरी पर एक बूढ़ी औरत भीख मांग रही थी. उनका दिया वही कंबल उसने ओढ़ा हुआ था...
बूढ़े ने हाथ से इशारा किया, थोड़ी दूरी पर एक बूढ़ी औरत भीख मांग रही थी. उनका दिया वही कंबल उसने ओढ़ा हुआ था...
बूढ़ा बोला-" वह औरत पैरों से विकलांग है, मेरे पास तो कम से कम ये पुरानी चादर तो है, उसके पास कुछ नहीं था तो मैंने कंबल उसे दें दिया."
पति पत्नी हतप्रभ रह गये, फिर धीरे से पति नें पत्नी से कहा-"घर से एक कंबल लाकर बूढ़े बाबा को दे देते हैं..."
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